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Re Kabira 047 - अदिति हो गयी १० की

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-o Re Kabira 047 o-- अदिति  हो गयी १० की लगती बात यूँही बस कल की, जब आयी थी अदिति गोद पर लो जी बिटिया हमारी हो गयी १० की, अब भी कूदे मेरी तोंद पर बन गया था अदिति का दादा, नाम चुना जब आदित ने तुम्हारा कहती है आदित को दादा, तुम्हारी दादागिरी पर कुछ करे न बेचारा आयी तो थी बन कर छोटी गुड़िया, पर निकली सबकी नानी हो तुम ४ फुट की पुड़िया, करे मनमानी जाने बात अपनी  मनवानी कभी गुस्से में कभी चिड़चिड़ के, हम डरते हैं गुबार से तुम्हारी कभी चहकती कभी फुदकती, हर तरफ गूंजे खिलखिलाहट तुम्हारी आदित की दिति मम्मा की डुइया, पापा को लगती सबसे दुलारी  दादा-दादी-नानी की अदिति रानी, शैतानी लगे सबको तुम्हारी प्यारी क्यों इतनी जल्दी बढ़ रही हो भैया, थोड़ा रुक जाओ अदिति मैया लो जी बिटिया हमारी हो गयी १० की, अब भी कूदे मेरी तोंद पर भैया  *** आशुतोष झुड़ेले  *** -o Re Kabira 047 o--

Re Kabira 046 - नज़र

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-o Re Kabira 046 o-- नज़र  मुश्किलों की तो फ़ितरत है, आती ही हैं नामुनासिब वक़्त पर अरे रफ़ीक वक़्त गलत नहीं, थिरका भी है कभी तुम्हारी नज़्मों पर  होठों पर हो वो ग़ज़ल, जो ले जाती थी तुम्हें रंगो संग आसमाँ पर मुसीबतें नहीं हैं ये असल, वो ले रही इम्तेहाँ ज़माने संग ज़मीं पर डरते है हम अक्सर ये सोच कर, नज़र लग गई ख़ुशियों पर  बोले रे कबीरा क्या कभी लगी, मेरे ख़ुदा की नज़र बंदे पर आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley @OReKabira --o Re Kabira 046 o--

Re Kabira 045 - सोच मत बदल लेना

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--o Re Kabira 045 o-- सोच मत बदल लेना यदि कभी आ कर मेरे हाल पूँछ लिए, तो मेरी हंसी को ख़ुशी मत बता देना  हम भी जब आयें मिज़ाज़ पूछने आपके, हमारी गुज़ारिश को फ़रियाद मत कह  देना  बोले  रे  कबीरा वक़्त नाज़ुक़ नहीं होता, कभी उसकी नज़ाक़त हरकतों पर ग़ौर तो कर  दो न कत्थक को नाही कथा पर ध्यान हो, दाद हर थिरकन पर टूटे घुंघरूओं को दो नदी की तक़दीर पता है रहीम को, चंचलता को तुम आज़ादी मत समझ लेना  समुन्दर शोर नहीं करता अपने ज़र्फ़ का, उसके सुकुत को ख़ामोशी मत  समझ लेना जो सुना तूने वो किसी के ख़याल हैं, हक़ीक़त समझने की गलती मत कर लेना  जो दिखा तुम्हे वो तुम्हारा नज़रिया है, सच समझ अपनी सोच मत बदल लेना  आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley @OReKabira --o Re Kabira 045 o--

Re Kabira 044 - कुछ ख़ाली ख़याल

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--o Re Kabira 044 o-- कुछ ख़ाली ख़याल  ख़ाली कमरे की मेज़ पर बैठे-बैठे, कुछ ख़ाली ख़याल लिख पड़ा और ख़ाली ख़याली घोड़े दौड़ाने लगा, वो मंसूबे अब तक कामयाब हुए नहीं... ख़ाली तो प्याली थी, जिसमे अब ग़र्म काली बिना शक्कर की चाय है और ख़ाली वो मेज़बान भी था, जिसने रुक कर किया एहतिराम बुज़ूर्ग का ... ख़ाली तो काँच के ग्लास है, जो सजा रखे हैं किताबों के बीच उस अलमारी पर  और ख़ाली वो क़िताब के पन्ने भी है, जो किसी ने नहीं पढ़े अब तक ... वैसे ख़ाली तो पड़ी है वो महफ़िल की बोतल, बीवी का गुबार निकलेगा जिस पर  और ख़ाली वो सोफ़े का कोना भी होगा, जिस पर देखी थी दो-तीन सिनेमा कल ... ख़ाली तो घर भी लगता है, जब होते हैं बच्चे इधर-उधर  और ख़ाली वो आँगन वहां भी हैं, जहाँ घरवाली-घरवाले करते है इंतेज़ार त्योहरों पर  ... वहां ख़ाली तो दीवार है, जिसे सजना है एक तस्वीर से इस दिवाली पर  और ख़ाली वो चित्र भी है, जिसे रंगा नहीं रंगसाज़ ने अभी तक ... आज ख़ाली तो सड़क हैं, जहाँ ज़श्न मनता है किसी और की  जीत पर  और ख़ाली वो चौराहे-बाज़ार भी हैं, जहाँ से निकला था जलूस जुम्मे पर ... ख़ाली तो धमकियाँ हैं, ज

Re Kabira 043 - Happy Dussehra 2019

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--o Re Kabira 043 o-- दशहरा  करिश्मे तो रोज़ होते हैं हमारे सामने, नज़र अंदाज़ हो जाते हैं हमारी उम्मीदों की आड़ में .. कभी गर्मी में इंद्रधनुष के रंग और कभी बारिश के कीचड़ में कमल,  छोड़ कर छोटी-छोटी खुशियां खोये हुए हैं हम। भूल गए किंतना इंतज़ार करते थे त्योहारों का हम, अब बस सोचते हैं कब मिलनेगे कुछ क्षण जब छलके क़दम ... देखो बच्चों की शैतानी और याद करो पिटाई के बाद की मरहम,  जब तब नहीं रुके कदम तो फिर आज क्यों रुके हम। चलो आ गया दशहरा निकाल लो झालर-झंकार, जगमग कर लो अपना छोटा सा संसार ... मि टे  दोष हटे-क्रोध छटे-विवाद,  हर तरफ हो आशाओं की.. खुशिओं की जय जय कार ... दशहरा पर आप सब को शुभकामनायेँ ... --o आशुतोष झुड़ेले  o-- Happy Dussehra 2019 Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 043 o--

Re Kabira 0042 - Lets Spread Colours.. of Love

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--o Re Kabira 0042 o-- होली है सब बोलें न चढ़े कोई रंग, जब हो हर तरफ लाल रंग।   छुप गया नीला आकाश, खो गया सतरंगी गगन।। बट गए नारंगी-हरे रंग, थक गये हम देख काले-सफ़ेद रंग।   दिखती  नहीं रंगीन वादियां, तितलियों ने खोया रसिक ढंग।। गर्म हो गया पवन का मन, लहरें भूल गयीं खनक छन-छन।     वापस आने दो लकड़पन, हस लो सोच के चंचल बचपन।।   लो जे आ गयी होली ले  के बसंत, हर तरफ होगा बस रंग ही रंग।   जो बोले न चढ़े  कोई रंग, चपेड़ दो उनको नीला-पीला  संग  प्रेम रंग।।  ।। होली है  ।। ।। Happy Holi  ।।   2019 Life is full of colors, don't let negativity take over and hide colors all around us.  On the occasion of Holi let's celebrate Spring and spread  colors  ..  colors  of love. --o आशुतोष झुड़ेले o-- Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 0042 o--

Re Kabira 0041 - शुभ दीपावली

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--o Re Kabira 0041 o-- न हो कोई विकार, अच्छे हो हमारे विचार |  न हो कहीँ अंधकार, जगमग हो हमारा संसार ||  हो लक्ष्मी और सरस्वती, हम सभी के द्वार  |  हो स्वस्थ और सुरक्षित, हम सभी का परिवार ||   आशुतोष Ashutosh Jhureley || शुभ दीपावली ||  || Wishing you a Happy Deepawali & New Year || --o Re Kabira 0041 o--