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Showing posts with the label Poem

Re Kabira 064 - कुछ सवाल?

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--o Re Kabira 064 o-- कुछ सवाल? खुशियां समिट गयीं, आशाएँ बिखर गयीं कुछ तो ढूंढ रहा है बंदा? रिश्ते अटक गए, नाते चटक गए कुछ न समझे है ये बाशिंदा? उसूल लुट गए, सुविचार मिट गए  क्यों नहीं हो रही निंदा? झूठ जीत गया, सच बदल गया क्यों नहीं हैं हम शर्मिंदा? दुआयें गुम गयीं, आशीर्वाद कम गया किसे पुकारे अब नालंदा? बहुत तप हो गए, रोज़ व्रत हो गए किसे भक्ति दिखाये रे काबिरा, रे गोविंदा? सुकून चला गया, चैन न रह गया कैसे हैं लोग यूँ ज़िंदा? लालच बस गयी, तृष्णा रह गयी कैसे निकालोगे ये फंदा? शहर बस गए, गांव घट गए कहाँ बनेगा मेरा घरौंदा? ख़्वाब रह गए, सपने बह गए कहाँ भटक रहा परिंदा? आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 064 o--

Re Kabira 059 - क्या ढूँढ़ते हैं ?

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--o Re Kabira 059 o-- क्या ढूँढ़ते हैं ? आप मेरी सुकून की नींद को मौत कहते हैं,  और फिर अपने  ख्वाबों मे मुझे ढूँढ़ते हैं  अजीब इत्तेफ़ाक़ है की आप मुझसे भागते हैं,  और फिर साथ फुर्शत के दो पल ढूँढ़ते हैं  कभी आप मेरे काम तो तमाशा कहते हैं,  और फिर कदरदानों की अशर्फियाँ ढूँढ़ते हैं  देखिये आप मुझे वैसे तो दोस्तों में गिनते हैं,  और फिर मुझमें अपने फायदे ढूँढ़ते हैं  कभी आप मेरे साथ दुनिया से लड़ने चलते हैं,  और फिर दुश्मनों में दोस्त ढूँढ़ते हैं  ओ रे कबीरा ! लिखते नज़्म गुमशुम एक कोने में,  और फिर भीड़ में चार तारीफें ढूँढ़ते हैं आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 059 o--

Inspirational Poets - Ramchandra Narayanji Dwivedi "Pradeep"

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Ramchandra Narayanji Dwivedi "Pradeep" ( कवि प्रदीप) was an Indian poet and songwriter who gave patriotic Hindi movies some songs that became larger calls. He adopted the pen name "Pradeep" and became renowned as Kavi Pradeep. His most famous song is "Aye Mere Watan Ke Logo" (ऐ मेरे वतन के लोगों), sung by Lata Mangeshkar, made then Prime Minister of India Pt. Nehru cry. Sharing my favorite poems of " Pradeep " here: कभी धुप कभी छाँव सुख दुःख दोनों रहते  जिसमे  जीवन है वो गाँव कभी धुप कभी छाँव, कभी धुप तो कभी छाँव भले भी दिन आते जगत में, बुरे भी दिन आते कड़वे मीठे फल करम के, यहाँ सभी पते कभी सीधे कभी उलटे पड़ते, अजब समय के पाँव कभी धुप कभी छाँव, कभी धुप तो कभी छाँव क्या खुशियाँ क्या गम, ये सब मिलते बारी बारी मालिक की मर्ज़ी पे, चलती ये दुनिया सारी ध्यान से खेना जग में, बन्दे अपनी नाव कभी धुप कभी छाँव, कभी धुप तो कभी छाँव कभी कभी खुद से बात करो कभी कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो। अपनी नज़र में तुम क्या हो? ये मन की तराजू पर तोलो। कभी कभी खुद

Re Kabira 048 - डोर

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-o Re Kabira 048 o-- डोर जब पानी मुट्ठी से सरक जावे, केबल हतेली गीली रह जावे। निकल गयो वकत बापस नहीं आवे, तेरे हाथ अफसोस ठय जावे।। ज़िन्दगी मानो तो बहुत छोटी होवे, और मानो तो बहुतै लंबी हो जावे।   सोच संकोच में लोग आगे बड़ जावे, तोहे पास पीड़ा दरद धर जावे।। जब-तब याद किसी की आवे, तो उनकी-तुम्हारी उमर और बड़ जावे।  चाहे जो भी विचार मन में आवे, बिना समय गवाये मिलने चले जावे।।   डोर लम्बी होवे तो छोर नजर न आवे,  और  जब  समटे तो उलझ बो जावे।  बोले रे कबीरा नाजुक रिस्ते-धागे होवे, झटक से जे टूट भी  जावे।। *** आशुतोष झुड़ेले  *** -o Re Kabira 048 o--

Re Kabira 046 - नज़र

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-o Re Kabira 046 o-- नज़र  मुश्किलों की तो फ़ितरत है, आती ही हैं नामुनासिब वक़्त पर अरे रफ़ीक वक़्त गलत नहीं, थिरका भी है कभी तुम्हारी नज़्मों पर  होठों पर हो वो ग़ज़ल, जो ले जाती थी तुम्हें रंगो संग आसमाँ पर मुसीबतें नहीं हैं ये असल, वो ले रही इम्तेहाँ ज़माने संग ज़मीं पर डरते है हम अक्सर ये सोच कर, नज़र लग गई ख़ुशियों पर  बोले रे कबीरा क्या कभी लगी, मेरे ख़ुदा की नज़र बंदे पर आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley @OReKabira --o Re Kabira 046 o--

Re Kabira 0040 - Switch

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--o Re Kabira 0040 o-- Switch lets walk lets walk, lets turn the engine off lets switch lets switch, lets switch to an electric car  turn off turn off, lets turn the switches off lets plant lets plan, lets plant as many trees recycle recycle, recycle all our waste less plastic less plastic, lets stop the use of plastic -- Aditi Jhureley --   --o Re Kabira 0040 o-- 

Re Kabira 0039 - Thistle

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--o Re Kabira 0039 o-- Thistle when my mother starts to feed, she drops out a seed when I start to grow, my spikes start to show somehow I show something very very pink and I don't know what its is, so I start to think if someone comes and I'm getting picked, I will get angry and they will get pricked when I get old, I start to droop down I will start to die with a big, unhappy frown -- Aadit Jhureley --   --o Re Kabira 0039 o--