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Re Kabira 043 - Happy Dussehra 2019

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--o Re Kabira 043 o-- दशहरा  करिश्मे तो रोज़ होते हैं हमारे सामने, नज़र अंदाज़ हो जाते हैं हमारी उम्मीदों की आड़ में .. कभी गर्मी में इंद्रधनुष के रंग और कभी बारिश के कीचड़ में कमल,  छोड़ कर छोटी-छोटी खुशियां खोये हुए हैं हम। भूल गए किंतना इंतज़ार करते थे त्योहारों का हम, अब बस सोचते हैं कब मिलनेगे कुछ क्षण जब छलके क़दम ... देखो बच्चों की शैतानी और याद करो पिटाई के बाद की मरहम,  जब तब नहीं रुके कदम तो फिर आज क्यों रुके हम। चलो आ गया दशहरा निकाल लो झालर-झंकार, जगमग कर लो अपना छोटा सा संसार ... मि टे  दोष हटे-क्रोध छटे-विवाद,  हर तरफ हो आशाओं की.. खुशिओं की जय जय कार ... दशहरा पर आप सब को शुभकामनायेँ ... --o आशुतोष झुड़ेले  o-- Happy Dussehra 2019 Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 043 o--

Re Kabira 0042 - Lets Spread Colours.. of Love

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--o Re Kabira 0042 o-- होली है सब बोलें न चढ़े कोई रंग, जब हो हर तरफ लाल रंग।   छुप गया नीला आकाश, खो गया सतरंगी गगन।। बट गए नारंगी-हरे रंग, थक गये हम देख काले-सफ़ेद रंग।   दिखती  नहीं रंगीन वादियां, तितलियों ने खोया रसिक ढंग।। गर्म हो गया पवन का मन, लहरें भूल गयीं खनक छन-छन।     वापस आने दो लकड़पन, हस लो सोच के चंचल बचपन।।   लो जे आ गयी होली ले  के बसंत, हर तरफ होगा बस रंग ही रंग।   जो बोले न चढ़े  कोई रंग, चपेड़ दो उनको नीला-पीला  संग  प्रेम रंग।।  ।। होली है  ।। ।। Happy Holi  ।।   2019 Life is full of colors, don't let negativity take over and hide colors all around us.  On the occasion of Holi let's celebrate Spring and spread  colors  ..  colors  of love. --o आशुतोष झुड़ेले o-- Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 0042 o--

Re Kabira 0038 - भीड़ की आड़ में (Behind the Mob)

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--o Re Kabira 0038 o-- भीड़ की आड़ में ... भीड़ की आड़ में  भीड़ की आड़ में .. कभी मजहब कभी जात , कभी अल्लाह कभी राम के नाम पर। भीड़ की आड़ में .. कभी रंग कभी बोल, कभी सफेद कभी काले के नाम पर। भीड़ की आड़ में  .. कभी भक्ति कभी शक्ति, कभी जानवर कभी पत्थर के नाम पर। भीड़ की आड़ में  .. पहले 1947 फिर 84 89 92 01.. अब हर रोज किसी न किसी के नाम पर।   छुपा रहा है मानुष अपने पाप को, भीड़ की आड़ में हो के मदहोश। रे कबीरा कब समझे आप को, किसी न नहीं खुद का है दोस।। आशुतोष झुड़ेले --o Re Kabira 0038 o--  #stopmoblynching

Re Kabira 0032 - Henna

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--o Re Kabira 0032 o-- Henna temporary it may be, short-lived it could be, timeless are memories, eternal are joys,  transient is the pain, everlasting is the scent, o henna.. it's not just you, no different.. life is same. -- Ashutosh Jhureley -- --o Re Kabira 0032 o--

Re Kabira 0030 - Life is full of colours

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--o Re Kabira 0030 o-- सतरंगन  बोले ओ रे कबीरा,  मूरख ! जे संसार लिपा सतरंगन में। काहे खोजे मानुष मतलब को, काले-सफ़ेद शब्दन में।। बोली जसोदा रंग दे राधा, गोपन को सतरंगन में। न चढ़े तोहे कोई रंग, देख ले प्रेम रंग नैन न में।। आज सब खेरो होली, चपेड़ सबको सतरंगन में। हस दो एक दूजे पे,  होर देख खुदको दरपन में।। ।। होली है ।। Happy Holi Life is full of colors, then why is everyone trying to find meaning in black-and-white words (books). No color can overcome the color of love. On Holi, smile at yourself and laugh away all the sorrows with colors in your life. ।। Happy Holi  ।। --o आशुतोष झुड़ेले o-- --o Ashutosh Jhureley o-- 2018 --o Re Kabira 0030 o--

Re Kabira 0027 - Giving दान दिये धन ना घटै

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--o Re Kabira 0027 o--   चिड़ी चोंच भर लै गई, नदी घटया ना नीर।  दान दिये धन ना घटै, कह गए दास कबीर।।   Translation: Even if a bird takes mouthful of water, water in the river doesn't diminish. Kabir says your wealth will not diminish by your charity.   My Interpretation: One doesn't become rich by accumulating, but becomes richer by giving.     --o संत कबीर दास  o-- --o Sant Kabir Das o-- --o Re Kabira 0027 o--

Re Kabira 0025 - Carving (Greed) रुखा सूखा खायके

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--o Re Kabira 0025 o-- रुखा सूखा खायके, ठण्डा पाणी पीब । देखि परायी चोपड़ी, मत ललचावै जीब ।। rukha sukha khayke, thanda paani peeb dekh paraye chopdi, mat lalchay jeeb Translation: What ever limited you have, consume and be satisfied. You should not crave for what others have. My Interpretation: Be happy with what you have... --o Sant Kabir Das o-- --o Re Kabira 0025 o--

Re Kabira 0022 - शिकायत थी मुझको

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--o Re Kabira 0022 o-- शिकायत थी मुझको !!! शिकायत थी मुझे खुदसे, तुमसे और थी यारों से,  शिकायत थी मुझे माता-पिता से, भाई-बहन और थी रिश्तेदारों से, शिकयात थी मुझे साथी से, बच्चों और थी अपनों से, शिकयत थी मुझे वर्त्तमान से, भूत-भविष्य और थी समय से, शिकायत थी मुझे सभी से, आप से और थी भगवान से |  शिकायत पर हँस पड़ा रे कबीरा, मुस्कुराया और बोला, मूरख ! शिकायत करते हैं वो, पास है जिनके सब कुछ और सभी, शिकायत का मौका मिलता है उनको, जिनको पता नहीं कीमत शिकायत की | |  आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley It's a privilege to be able to complain... --o Re Kabira 0022 o--

Re Kabira 019 - सोचता हूँ की बस सोचता ही न रह जाऊ? (Just Do It)

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--o Re Kabira 019 o-- सोचता हूँ की बस सोचता ही न रह जाऊ? सोचता हूँ क्या क्या करना हैं मुझको, सोचता हूँ क्या करूँ सबसे पहले, सोचता हूँ कब शुरुआत करूँ ? सोचता हूँ कब कर पाऊँगा सब कुछ , सोचता हूँ क्या होगा न कर पाया ये सब, सोचता हूँ क्या समय नहीं है मेरे साथ ? सोचता हूँ कितने पैसे हैं मेरे पास, सोचता हूँ इतने पैसे काफी होंगे या नहीं, सोचता हूँ उतने पैसे कहाँ से लाऊंगा ? सोचता हूँ क्या कहेंगे दोस्त अगर चल पड़ा, सोचता हूँ क्या सोचेंगे घर पर यदि न कर सका, सोचता हूँ बच्चे क्या बोलेंगे कुछ सालों के बाद? सोचता हूँ क्या होगा घर-बार का, सोचता हूँ क्या होगा धर-परिवार का, सोचता हूँ क्या होंगे मेरा इन सब के बाद? सोचता हूँ क्या करूँ क्या नहीं, सोचता हूँ सोचा करूँ या नहीं, सोचता हूँ की बस सोचता ही न रह जाऊ? बस कर सोचना और सपने देखना, बस उठा कदम और निकल जा, बस रुकना मत चलते ही जा || आशुतोष झुड़ेले    #DontThink #JustDoIt #ItsYourTime #DoIt #GoOn #HereYouGo --o Re Kabira 019 o--

Re Kabira 015 - यह कदम्ब का पेड़

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--o Re Kabira 015 o-- यह कदम्ब का पेड़ यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥ ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली। किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली॥ तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता। उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता॥ वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता। अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता॥ बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता। माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता॥ तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे। ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे॥ तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता। और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता॥ तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती। जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं॥ इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे। यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे॥ सुभद्राकुमारी चौहान --o Re Kabira 015 o-- #ReKabira #childhood #yamuna #love #peace #happiness #fortune #miracle #life #LoveHindi #Ash2Ash

Re Kabira 014 - Doubt

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--o Re Kabira 014 o-- पढ़ा सुना सीखा सभी, मिटी ना संशय शूल | कहे कबीर कैसो कहू, यह सब दुःख का मूल || Translation: You may read, listen and learn all you want to know about. By doing all this, if you still have no relief from painful doubts. Kabir says it is difficult to explain but, your doubts or misturst is the root to the pains & sorrow. My Interpretation: Start with trust not doubts.... --oo Sant Kabir Das oo-- --o Re Kabira 014 o-- #ReKabira #doubt #love #peace #happiness #fortune #miracle #life #LoveHindi #Ash2Ash