--o Re Kabira 043 o--
करिश्मे तो रोज़ होते हैं हमारे सामने, नज़र अंदाज़ हो जाते हैं हमारी उम्मीदों की आड़ में ..
कभी गर्मी में इंद्रधनुष के रंग और कभी बारिश के कीचड़ में कमल, छोड़ कर छोटी-छोटी खुशियां खोये हुए हैं हम ।
भूल गए किंतना इंतज़ार करते थे त्योहारों का हम, अब बस सोचते हैं कब मिलनेगे कुछ क्षण जब छलके क़दम ...
देखो बच्चों की शैतानी और याद करो पिटाई के बाद की मरहम, जब तब नहीं रुके कदम तो फिर आज क्यों रुके हम।
चलो आ गया दशहरा निकाल लो झालर-झंकार, जगमग कर लो अपना छोटा सा संसार ...
मिटे-दोष हटे-क्रोध छटे-विवाद, हर तरफ हो आशाओं की.. खुशिओं की जय जय कार
... दशहरा पर आप सब को शुभकामनायेँ ...
कभी गर्मी में इंद्रधनुष के रंग और कभी बारिश के कीचड़ में कमल, छोड़ कर छोटी-छोटी खुशियां खोये हुए हैं हम ।
भूल गए किंतना इंतज़ार करते थे त्योहारों का हम, अब बस सोचते हैं कब मिलनेगे कुछ क्षण जब छलके क़दम ...
देखो बच्चों की शैतानी और याद करो पिटाई के बाद की मरहम, जब तब नहीं रुके कदम तो फिर आज क्यों रुके हम।
चलो आ गया दशहरा निकाल लो झालर-झंकार, जगमग कर लो अपना छोटा सा संसार ...
मिटे-दोष हटे-क्रोध छटे-विवाद, हर तरफ हो आशाओं की.. खुशिओं की जय जय कार
... दशहरा पर आप सब को शुभकामनायेँ ...
--o आशुतोष झुड़ेले o--
Happy Dussehra 2019
Ashutosh Jhureley
Ashutosh Jhureley
--o Re Kabira 043 o--
Waah waah. Love it
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