अनुगच्छतु प्रवाहं - Go With The Flow - Hindi Poetry - Re Kabira 109
-- o Re Kabira 109 o -- अनुगच्छतु प्रवाहं टिक-टिक-टिक घड़ी की टिक-टिकी एक प्रवाह छुक-छुक-छुक रेल का रेला, धक-धक-धक दिल की धड़कन और डम-डम-डम डमरू की डमक भी प्रवाह प्रवाह कविता है और महा काव्य भी कहानी है, कथा है , लेख है और ग्रंथ भी प्रवाह प्रवाह प्रकृति है और पुरुष भी छाया है काया है साया है और माया भी प्रवाह जल प्रवाह से नदियाँ, झरने और सागर भी आकाश फटे सैलाब बरपे प्रलय का विध्वंसक प्रवाह वायु प्रवाह से श्वास भी आँधी-तूफ़ान भी क्षण में मौसम बदल जाए जब हो हवा का तीव्र प्रवाह सूरज की किरणों के प्रवाह से भोर भी साँझ भी पहर दर पहर दिन रात चलता समय का अविरल प्रवाह प्रकृति के रंगो के प्रवाह से बसंत भी बहार भी ऋतू बदनले का सन्देश लाये भौरों की गुंजन, पँछियों का संगीत प्रवाह मौसम में बदलाव का प्रवाह हो सूखे पत्तों से भी नम माटी से भी बादल गरजें, जोर से बरसे तब झूमे किसान तो हर्ष प्रवाह रंगो के प्रवाह से चित्र भी कलाकृति भी कला से व्यक्त करे कलाकार अनुभूति का प्रवाह विद्या प्रवाह से एकलव्य भी अर्जुन भी बने महान योद्धा जब मिला उन्हें गुरु ज्ञान प्र...