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Re Kabira 048 - डोर

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-o Re Kabira 048 o-- डोर जब पानी मुट्ठी से सरक जावे, केबल हतेली गीली रह जावे। निकल गयो वकत बापस नहीं आवे, तेरे हाथ अफसोस ठय जावे।। ज़िन्दगी मानो तो बहुत छोटी होवे, और मानो तो बहुतै लंबी हो जावे।   सोच संकोच में लोग आगे बड़ जावे, तोहे पास पीड़ा दरद धर जावे।। जब-तब याद किसी की आवे, तो उनकी-तुम्हारी उमर और बड़ जावे।  चाहे जो भी विचार मन में आवे, बिना समय गवाये मिलने चले जावे।।   डोर लम्बी होवे तो छोर नजर न आवे,  और  जब  समटे तो उलझ बो जावे।  बोले रे कबीरा नाजुक रिस्ते-धागे होवे, झटक से जे टूट भी  जावे।। *** आशुतोष झुड़ेले  *** -o Re Kabira 048 o--

Re Kabira 046 - नज़र

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-o Re Kabira 046 o-- नज़र  मुश्किलों की तो फ़ितरत है, आती ही हैं नामुनासिब वक़्त पर अरे रफ़ीक वक़्त गलत नहीं, थिरका भी है कभी तुम्हारी नज़्मों पर  होठों पर हो वो ग़ज़ल, जो ले जाती थी तुम्हें रंगो संग आसमाँ पर मुसीबतें नहीं हैं ये असल, वो ले रही इम्तेहाँ ज़माने संग ज़मीं पर डरते है हम अक्सर ये सोच कर, नज़र लग गई ख़ुशियों पर  बोले रे कबीरा क्या कभी लगी, मेरे ख़ुदा की नज़र बंदे पर आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley @OReKabira --o Re Kabira 046 o--

Re Kabira 010 - Martyr (पुष्प की अभिलाषा)

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--o Re Kabira 010 o-- पुष्प की अभिलाषा चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक! ---oo Pandit Makhan Lal Chaturvedi oo-- My Interpretation Nothing comes ahead of service of the motherland; it is a privilege to be in service of the motherland in one way or other. Translation I do not wish to adorn a beautiful maiden’s ornaments, I do not wish to be a gift for your beloved, I do not wish to be on the graves of great kings, I do not wish to be proudly placed on idols of Gods, I rather wish to be plucked to be spread on the paths, on which the braves martyrs walked to give their life for their motherland! --o Re Kabira 010 o-- #salute #india #indianarmy #terroristattack #makhanlalchaturvedi #RepublicDay #India # AzadiKaAmritMahots

Re Kabira 008 - Belief

--o Re Kabira 008 o-- मोको कहां ढूँढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में | खोजि होए तुरत मिल जाउं, मैं तो हूं विश्वास में ||  ---oo Sant Kabir Das oo--- Translation: Where are you looking for me mate, I am close to you. You just need to discover, I am in your belief. My Interpretation: You can't find peace anywhere but in your own belief. These couplets were part of Kabir's Poem: मोको कहां ढूँढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में ना तीरथ मे ना मूरत में, ना एकान्त निवास में ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काबे कैलास में मैं तो तेरे पास में बन्दे, मैं तो तेरे पास में ना मैं जप में ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में ना मैं किरिया करम में रहता, नहिं जोग सन्यास में नहिं प्राण में नहिं पिंड में, ना ब्रह्याण्ड आकाश में ना मैं प्रकुति प्रवार गुफा में, नहिं स्वांसों की स्वांस में खोजि होए तुरत मिल जाउं, इक पल की तालास में कहत कबीर सुनो भई साधो, मैं तो हूं विश्वास में --o Re Kabira 008 o--

Re Kabira 001 - Sādhū bhūkhā bhāva kā

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-- o ReKabira 001 o --  साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाही | धन का भूखा जो फिरे, सो तो साधू नाही || Sādhū bhūkhā bhāva kā, dhana kā bhūkhā nāhī | dhana kā bhūkhā jō phirē, sō tō sādhū nāhī || Sant Kabir Das Translation: Sage has hunger for devotion, not wealth. If one has hunger for wealth, then he / she can't be a sage. My Interpretation: A noble and wise person has drive for excellence and pursues passion for greater cause. And not personal or vested interest. One with personal or vested interest could only be a good business person not a wise one. Pursue excellence, be driven by passion and have an impact greater cause. -- o ReKabira 001 o --