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Re Kabira 013 - इंतेज़ार

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--o Re Kabira 013 o--   इंतेज़ार इंतेज़ार इंतेज़ार इंतेज़ार ..  तुम्हे किसका इंतेज़ार है  कोई प्यार के इंतेज़ार में है  तो कोई सुकून का इंतेज़ार कर रहा है  कोई खुशियों के  इंतेज़ार में है  तो कोई तक़दीर बदलने का  इंतेज़ार कर रहा है  कोई किसी चमत्कार के इंतेज़ार में है  तो कोई ख़ुदा के इंतेज़ार कर रहा है  इंतेज़ार इंतेज़ार इंतेज़ार ..  हम सब एक ज़िन्दगी के इंतेज़ार में हैं,  वो ज़िन्दगी जो किसी और की है इंतेज़ार इंतेज़ार इंतेज़ार ..  हम क्यों उस के इंतेज़ार में है, जो कभी हमारा था ही नहीं wait wait wait... what are you waiting for someone is waiting for love someone is waiting for peace someone is waiting for happiness someone is waiting for a fortune someone is waiting for a miracle someone is waiting for god to appear wait wait wait.... everyone is waiting for life... life, not theirs... wait wait wait... why wait for something, not yours आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 013 o-- #wait #love #peace #happiness #fortune #miracle #life

Re Kabira 012 - Relationships

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--o Re Kabira 01 2 o-- रिश्ते  सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। कमी नहीं है रिश्तों में, नहीं है कच्ची यारी। । नहीं करिओ किसी से अपेक्षा, न ही करो किसी की उपेक्षा। केवल सोच से कुछ नहीं, कर्म ही है सब कुछ। । गलती किस में देखे हो, ऊँगली उठाने से पहले सोचे हो। एक तेरी दूजी पाथर के ओर, पर तीन टटोले हथेली होर। । आप जो दे चले सब कुछ, मिल जाएगा सत्य सुख। सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। । ~आशुतोष --o Re Kabira 01 2 o-- #caste #class #religion #region #equality #bias #relationships #expectations #neglect 

Re Kabira 008 - Belief

--o Re Kabira 008 o-- मोको कहां ढूँढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में | खोजि होए तुरत मिल जाउं, मैं तो हूं विश्वास में ||  ---oo Sant Kabir Das oo--- Translation: Where are you looking for me mate, I am close to you. You just need to discover, I am in your belief. My Interpretation: You can't find peace anywhere but in your own belief. These couplets were part of Kabir's Poem: मोको कहां ढूँढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में ना तीरथ मे ना मूरत में, ना एकान्त निवास में ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काबे कैलास में मैं तो तेरे पास में बन्दे, मैं तो तेरे पास में ना मैं जप में ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में ना मैं किरिया करम में रहता, नहिं जोग सन्यास में नहिं प्राण में नहिं पिंड में, ना ब्रह्याण्ड आकाश में ना मैं प्रकुति प्रवार गुफा में, नहिं स्वांसों की स्वांस में खोजि होए तुरत मिल जाउं, इक पल की तालास में कहत कबीर सुनो भई साधो, मैं तो हूं विश्वास में --o Re Kabira 008 o--