Re Kabira 012 - Relationships

--o Re Kabira 012 o--
Relationship

रिश्ते 

सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ।
कमी नहीं है रिश्तों में, नहीं है कच्ची यारी।

नहीं करिओ किसी से अपेक्षा, न ही करो किसी की उपेक्षा।
केवल सोच से कुछ नहीं, कर्म ही है सब कुछ।

गलती किस में देखे हो, ऊँगली उठाने से पहले सोचे हो।
एक तेरी दूजी पाथर के ओर, पर तीन टटोले हथेली होर।

आप जो दे चले सब कुछ, मिल जाएगा सत्य सुख।
सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ।




~आशुतोष

--o Re Kabira 012 o--
#caste #class #religion #region #equality #bias #relationships
#expectations #neglect 

Popular posts from this blog

Re Kabira - सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinah)

रंग कुछ कह रहे हैं - Holi - Colours Are Saying Something - Hindi Poetry - Re Kabira 106

वो चिट्ठियाँ वो ख़त - Lost Letters - Hindi Poetry - Re Kabira 108