Re Kabira 084 - हिचकियाँ

 --o Re Kabira 84 o--

हिचकियाँ

हिचकियाँ 
 
बहुत हिचकियाँ आ रहीं है, 
इतना न आप मुझे याद किया करो 
बातें तो बहुत करते हो मेरी, 
कभी मिलने के बहाने बना लिया करो

लगता है जैसे कल ही बात है, 
आप कहते थे बेवजह जश्न मना लिया करो
आज बस जश्न की बातें हैं, 
कभी ख़ुशी कभी ग़म बाट लेने के बहाने ढूँढ लिया करो

याद तो होगा जब थोड़ा बहुत था, 
और हम कहते थोड़े में बहुत के मज़े लिया करो
अब और-और की हौड़ लगी है, 
कभी थोड़े छोटे-छोटे पल बुन लिया करो

चलते चलते हम तिरछे रास्तों में भटकेंगे, 
तुम यूँही भटक कर फिर मिल जाया करो
वैसे तो आज में जो जीने का असली मज़ा है, 
कभी कल को याद कर मुस्कुरा लिया करो

फूल चुन कर हमने गुलदस्ता बनाया है, 
भौरों को भी गुलिस्तान में मँडराने दिया करो
आज हमारा सुंदर एक घरौंदा है, 
कभी बिना बताये चले आ जाया करो
 
ढूँढते हैं हम ख़ुशियाँ गली गलियारों में,
आगे बढ़ कर मुस्कुराहटें तोड़ लाया करो 
देखो तो हर तरफ़ अनेकों रंग है, 
कभी अपनी चहक से और रंग घोल जाया करो

हँसना है रोना है रोते रोते हँसना है, 
हर लम्हे को यादों में क़ैद कर लिया करो 
आज मेरे पास यादों की पोटली है, 
कभी तुम गठरी से मेरी निशानी ले जाया करो

बहुत हिचकियाँ आ रहीं है, 
इतना न आप मुझे याद किया करो 
बातें तो बहुत करते हो मेरी, 
कभी मिलने के बहाने बना लिया करो



आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley
@OReKabira

 --o Re Kabira 84 o--

Most Loved >>>

Rekabira 085 - चुरा ले गये

Re Kabira 080 - मन व्याकुल

Re Kabira 082 - बेगाना

Re Kabira 055 - चिड़िया

Re Kabira 050 - मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं

Re Kabira 011 - Stubborn

Re Kabira 079 - होली 2023

Re Kabira 083 - वास्ता

Re Kabira 065 - वो कुल्फी वाला