Re Kabira 0024 - तू है गज


--o Re Kabira 0024 o--


।। तू है गज ।।

तू है वन में, तू है मंदिर में...
तू है सड़कों पे, तू है तमाशों में...
तू है भजनों  में, तू है गीतों में...
तू है कविता में, तू है चित्रोँ में।

तू है वृक्षों का राजा, तू है दरियों का
बादशाह...
तू है राजाओं की शान, तू हैं महोट की जान...
तू है जीत का प्रतीक, तू है क्रांति का गीत...
तू है कबीर के दोहों में, तू है बुद्ध के बोलों में।

तू है युद्ध की हूंकार, तू हैं शांति की पुकार...
तू है ज्ञानियों के प्रेरणा, तू हैं ऋषियों की चेतना...
तू है हर पूजा में, तू है हर जीबा में...
तू है बचपन में, तू हैं अंतिम दर्शन में। 

तू है ऐरावत, तू है महमूद...
फिर क्यों... तू ही तड़पे, तू ही तरसे...
तू है अब सपनों में, तू है अब मन में...
तू हैं हमारी कोशिश, तू है हमारी
कोशिश में।

तू है गज, तू है गज, तू है गज।

आशुतोष झुड़ेले



--o Re Kabira 0024 o--


Most Loved >>>

Re Kabira 087 - पहचानो तुम कौन हो?

चलो नर्मदा नहा आओ - Re Kabira 088

Re Kabira 086 - पतंग सी ज़िन्दगी

Re kabira 085 - चुरा ले गये

Re Kabira 084 - हिचकियाँ

उठ जा मेरी ज़िन्दगी तू - Re Kabira 090

Inspirational Poets - Ramchandra Narayanji Dwivedi "Pradeep"

तमाशा बन गया - Re Kabira 089

Re Kabira - सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinah)

Re Kabira 065 - वो कुल्फी वाला