Re Kabira 045 - सोच मत बदल लेना

--o Re Kabira 045 o--


सोच मत बदल लेना

यदि कभी आ कर मेरे हाल पूँछ लिए, तो मेरी हंसी को ख़ुशी मत बता देना 
हम भी जब आयें मिज़ाज़ पूछने आपके, हमारी गुज़ारिश को फ़रियाद मत कह देना 

बोले रे कबीरा वक़्त नाज़ुक़ नहीं होता, कभी उसकी नज़ाक़त हरकतों पर ग़ौर तो कर दो
न कत्थक को नाही कथा पर ध्यान हो, दाद हर थिरकन पर टूटे घुंघरूओं को दो

नदी की तक़दीर पता है रहीम को, चंचलता को तुम आज़ादी मत समझ लेना 
समुन्दर शोर नहीं करता अपने ज़र्फ़ का, उसके सुकुत को ख़ामोशी मत समझ लेना

जो सुना तूने वो किसी के ख़याल हैं, हक़ीक़त समझने की गलती मत कर लेना 
जो दिखा तुम्हे वो तुम्हारा नज़रिया है, सच समझ अपनी सोच मत बदल लेना 


आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley
@OReKabira



--o Re Kabira 045 o--

Most Loved >>>

शौक़ नहीं दोस्तों - Re Kabira 095

रखो सोच किसान जैसी - Re Kabira 096

क्यों न एक प्याली चाय हो जाए - Re Kabira 091

उठ जा मेरी ज़िन्दगी तू - Re Kabira 090

मिलना ज़रूरी है - Re Kabira 092

Inspirational Poets - Ramchandra Narayanji Dwivedi "Pradeep"

एक बूँद की औकात - Re Kabira 094

तुम कहते होगे - Re Kabira 093

Re Kabira 055 - चिड़िया

Re Kabira - सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinah)