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Re Kabira 015 - यह कदम्ब का पेड़

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--o Re Kabira 015 o-- यह कदम्ब का पेड़ यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥ ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली। किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली॥ तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता। उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता॥ वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता। अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता॥ बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता। माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता॥ तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे। ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे॥ तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता। और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता॥ तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती। जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं॥ इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे। यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे॥ सुभद्राकुमारी चौहान --o Re Kabira 015 o-- #ReKabira #childhood #yamuna #love #peace #happiness #fortune #miracle #life #LoveHindi #Ash2Ash

Re Kabira 014 - Doubt

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--o Re Kabira 014 o-- पढ़ा सुना सीखा सभी, मिटी ना संशय शूल | कहे कबीर कैसो कहू, यह सब दुःख का मूल || Translation: You may read, listen and learn all you want to know about. By doing all this, if you still have no relief from painful doubts. Kabir says it is difficult to explain but, your doubts or misturst is the root to the pains & sorrow. My Interpretation: Start with trust not doubts.... --oo Sant Kabir Das oo-- --o Re Kabira 014 o-- #ReKabira #doubt #love #peace #happiness #fortune #miracle #life #LoveHindi #Ash2Ash

Re Kabira 013 - इंतेज़ार

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--o Re Kabira 013 o--   इंतेज़ार इंतेज़ार इंतेज़ार इंतेज़ार ..  तुम्हे किसका इंतेज़ार है  कोई प्यार के इंतेज़ार में है  तो कोई सुकून का इंतेज़ार कर रहा है  कोई खुशियों के  इंतेज़ार में है  तो कोई तक़दीर बदलने का  इंतेज़ार कर रहा है  कोई किसी चमत्कार के इंतेज़ार में है  तो कोई ख़ुदा के इंतेज़ार कर रहा है  इंतेज़ार इंतेज़ार इंतेज़ार ..  हम सब एक ज़िन्दगी के इंतेज़ार में हैं,  वो ज़िन्दगी जो किसी और की है इंतेज़ार इंतेज़ार इंतेज़ार ..  हम क्यों उस के इंतेज़ार में है, जो कभी हमारा था ही नहीं wait wait wait... what are you waiting for someone is waiting for love someone is waiting for peace someone is waiting for happiness someone is waiting for a fortune someone is waiting for a miracle someone is waiting for god to appear wait wait wait.... everyone is waiting for life... life, not theirs... wait wait wait... why wait for something, not yours आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 013 o-- #wait #love #peace #happiness #fortune #miracle #life

Re Kabira 012 - Relationships

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--o Re Kabira 01 2 o-- रिश्ते  सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। कमी नहीं है रिश्तों में, नहीं है कच्ची यारी। । नहीं करिओ किसी से अपेक्षा, न ही करो किसी की उपेक्षा। केवल सोच से कुछ नहीं, कर्म ही है सब कुछ। । गलती किस में देखे हो, ऊँगली उठाने से पहले सोचे हो। एक तेरी दूजी पाथर के ओर, पर तीन टटोले हथेली होर। । आप जो दे चले सब कुछ, मिल जाएगा सत्य सुख। सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। । ~आशुतोष --o Re Kabira 01 2 o-- #caste #class #religion #region #equality #bias #relationships #expectations #neglect 

Re Kabira 011 - हम सोचते हैं

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--o Re Kabira 011 o--   हम सोचते हैं  हम सोचते हैं, महात्मा पंडित क़ादरी दे गया और बाबा ठाकुर दलित । पर देख नहीं सकते ,चाचा के तब मजे थे और अब ताऊ-नेता-बहन-बहु के ।। हम लोग कल भी अकड़े थे और आज भी चौड़े हैं । हम पहले भी मंद थे और अब भी मूरख हैं ।। Translation: We are made to believe that Mahatma supported the nation being divided based on religion, and Ambedkar divided based on reservation. But we can't see that politicians took advantage at all times using the policy of divide & rule. And supporters followed them stubbornly without using any common sense at all. --o आशुतोष झुड़ेले o-- Ashutosh Jhureley  --o Re Kabira 011 o-- #caste #class #religion #region #equality #bias 

Re Kabira 010 - Martyr (पुष्प की अभिलाषा)

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--o Re Kabira 010 o-- पुष्प की अभिलाषा चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक! ---oo Pandit Makhan Lal Chaturvedi oo-- My Interpretation Nothing comes ahead of service of the motherland; it is a privilege to be in service of the motherland in one way or other. Translation I do not wish to adorn a beautiful maiden’s ornaments, I do not wish to be a gift for your beloved, I do not wish to be on the graves of great kings, I do not wish to be proudly placed on idols of Gods, I rather wish to be plucked to be spread on the paths, on which the braves martyrs walked to give their life for their motherland! --o Re Kabira 010 o-- #salute #india #indianarmy #terroristattack #makhanlalchaturvedi #RepublicDay #India # AzadiKaAmritMahots

Re Kabira 009 - Greed

--o Re Kabira 009 o-- जियरा जाहुगे हम जानीं |  आवैगी कोई लहरि लोभ की बूडैगा बिनु पानी|   राज करता राजा जाइगा रूप दिपती रानी|  जोग करंता जोगी जाइगा कथा सुनंता ग्यानी|  चंद जाइगा सूर जाइगा जाइगा पवन औ पांनी|  कहै कबीर तेरा संत न जाइगा राम भगति ठहरानी|| -oo संत कबीर दास oo- When greed hits you like a wave You don't need water to drown. Whether it's a king on his throne Or a pretty queen, A chanting pundit Or a miracle-working yogi, They'll all die by drowning In a waterless sea. Who survives? The ones whose minds, Kabir says, Are tied to rocks.    --oo Sant Kabir Das oo-- --o Re Kabira 009 o--