Re kabira 085 - चुरा ले गये

 --o Re Kabira 85 o--

चुरा ले गये 

चुरा ले ग सुबह से ताज़गी,

कुछ लोग शाम से सादगी चुरा ले ग

 

चुरा ले ग ज़िन्दगी से दिल्लगी,

कुछ लोग बन्दे से बंदगी चुरा ले ग

 

चुरा ले ग आईने से अक्स,

कुछ लोग मेरी परछाईं चुरा ले ग

 

चुरा ले ग दिल का चैन,

कुछ लोग आँसुओं से नमी चुरा ले ग

 

चुरा ले गये बादलों से सतरंग,

कुछ लोग पहली बारि की ख़ुशबू चुरा ले ग

 

चुरा ले ग बागीचे से फूल.

कुछ लोग आँगन की मिट्टी ही चुरा ले ग

 

चुरा ले ग जिश्म से रूह,

कुछ लोग कब्र से लाश चुरा ले ग

 

चुरा के आ ख़ाक में डूबी चौखट पर ओ रे कबीरा,

कुछ लोग चार आने का हिसाब ले ग




आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley
@OReKabira

 --o Re Kabira 85 o--

Most Loved >>>

शौक़ नहीं दोस्तों - Re Kabira 095

रखो सोच किसान जैसी - Re Kabira 096

क्यों न एक प्याली चाय हो जाए - Re Kabira 091

उठ जा मेरी ज़िन्दगी तू - Re Kabira 090

मिलना ज़रूरी है - Re Kabira 092

Inspirational Poets - Ramchandra Narayanji Dwivedi "Pradeep"

एक बूँद की औकात - Re Kabira 094

तुम कहते होगे - Re Kabira 093

Re Kabira 055 - चिड़िया

Re Kabira - सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinah)