Re Kabira 060 - अभी तक कोई सोया नहीं

--o Re Kabira 060 o--

 

अभी तक कोई सोया नहीं 

सामने वाले घर में आज भी, अभी तक कोई सोया नहीं 

या तो वो गुम है क़िताबों में - अख़बारों में, या फिर खोया हुआ है ख़यालों में 

या तो वो हक़ीक़त से है अनजान, या फिर है बहुत परेशान 

या तो वो है बिल्कुल अकेला, या फिर जमा हुआ है दोस्तों का मेला 


सामने वाले घर में आज भी, अभी तक कोई सोया नहीं 

या तो वो है किसी से डरा हुआ, या फिर है हाथ में प्याला भरा हुआ 

या तो वो है किसी के इख़्तेयार में, या है किसी के इंतज़ार में 

या तो वह है बहुत ही थका हुआ, या चाह कर भी सो न सका 


सामने वाले घर में आज भी, अभी तक कोई सोया नहीं 

में भी तो अब तक सोया नहीं, नींद का कोई पता नहीं 


आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley

--o Re Kabira 060 o--


Most Loved >>>

क्यों न एक प्याली चाय हो जाए - Re Kabira 091

मिलना ज़रूरी है - Re Kabira 092

Re kabira 085 - चुरा ले गये

Re Kabira - सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinah)

Inspirational Poets - Ramchandra Narayanji Dwivedi "Pradeep"

Re Kabira 084 - हिचकियाँ

Re Kabira 087 - पहचानो तुम कौन हो?

Re Kabira 0068 - क़ाश मैं बादल होता

Re Kabira 086 - पतंग सी ज़िन्दगी

Re Kabira 083 - वास्ता