Re Kabira 057 - कहाँ चल दिये अभी तो बहुत सारी बातें बाँकी है

 


--o Re Kabira 057 o--

कहाँ चल दिये अभी तो बहुत सारी बातें बाँकी है

कहाँ चल दिये अभी तो बहुत सारी बातें बाँकी है
यहाँ कुछ यादें है, अभी तो सपने बुनना बाँकी है

अभी आधे रास्ते चले है सफ़र थोड़ा और बाँकी है 
सभी दीवारें तो बन गयी, घर की छत बनना बाँकी है

मिले दसियों यार-दोस्त, खुद से दोस्ताना बाँकी है 
पढ़े आपके बहुत शेर, अपनी ग़ज़ल सुनना बाँकी है

जहाँ देखो जल्दबाज़ी है, ज़रा सा सुस्ताना बाँकी है 
कहाँ भागे जा रहे हो, जो छूट गये उसे लेना बाँकी है

देखे तारे बहुत रात भर, अभी तोड़ कर लाना बाँकी है
सीखे ग़ुर बहुत उम्र भर, अभी चाँद को झुकाना बाँकी है 

लड़खड़ाये, सम्भल गए, पर बदलना अभी बाँकी है 
ज़माने ने सुनाया बहुत, पर जवाब देना अभी बाँकी है 

अब तक परख़े मख़मल, ख़ारज़ार पर चलना बाँकी है
अब तक पतझड़ देखा है, गुलों का खिलना बाँकी है

कभी कहते थे फिर मिलेंगे, आपका लौटना बाँकी है
अभी तक तुम ख़फ़ा हो, ग़लतफ़हमी मिटाना बाँकी है 

कब तक बारिश से बचोगे, भीगने का लुफ़्त बाँकी है
जब मिल ही गया इशारा, बस बेक़रार होना बाँकी है

कहाँ चल दिये अभी तो बहुत सारी बातें बाँकी है
यहाँ कुछ यादें है, अभी तो सपने बुनना बाँकी है

आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley

--o Re Kabira 057 o--

Most Loved >>>

क्यों न एक प्याली चाय हो जाए - Re Kabira 091

मिलना ज़रूरी है - Re Kabira 092

Re kabira 085 - चुरा ले गये

Re Kabira - सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinah)

Re Kabira 084 - हिचकियाँ

Re Kabira 087 - पहचानो तुम कौन हो?

Re Kabira 0068 - क़ाश मैं बादल होता

Inspirational Poets - Ramchandra Narayanji Dwivedi "Pradeep"

Re Kabira 086 - पतंग सी ज़िन्दगी

Re Kabira 083 - वास्ता