Re Kabira 077 - लड़ाई

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लड़ाई

सब लड़ रहे कोई न कोई लड़ाई कुछ चारों छोर से 
किसी की है अपने आप से लड़ाई तो किसी की और से
 
ज़रूरी नहीं कि दिखे चोटों में, या फिर टूटी चौखटों में
छिप जाती हैं अधिक्तर लड़ाई, मुस्कुराते मुखौटों में

अगर मैं नहीं लड़ूँगा अपनी लड़ाई, तो और कौन 
सबको लड़नी खुद की लड़ाई, बाँकी सारे मौन
 
झंझोड़ देती, तो कभी निचोड़ देती, पर लड़ना मजबूरी है
क्यों घबड़ाता है लड़ने से, ओ रे कबीरा लड़ते रहना ज़रूरी है

लड़ाई अपनी अपनी होती है, खुद को ही लड़ना होती है 
उम्मीद की कोई और लड़ेगा, फ़िज़ूल खर्च लड़ाई होती है



आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley
@OReKabira

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